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श्लोक 13.51.1  |
युधिष्ठिर उवाच
ब्रूहि तात कुरुश्रेष्ठ वर्णानां त्वं पृथक् पृथक्।
कीदृश्यां कीदृशाश्चापि पुत्रा: कस्य च के च ते॥ १॥ |
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अनुवाद |
युधिष्ठिर ने पूछा - तात! कुरुश्रेष्ठ! कृपया वर्णों के सम्बन्ध में हमें अलग-अलग बताएँ कि किस स्त्री के गर्भ से किस प्रकार के पुत्र उत्पन्न होते हैं? तथा किसके कौन-से पुत्र होते हैं? 1॥ |
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Yudhishthir asked – Tat! Kurushrestha! Regarding the varnas, please tell us separately, what kind of sons are born from the womb of which woman? And who has which sons? 1॥ |
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