श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 5: स्वामिभक्त एवं दयालु पुरुषकी श्रेष्ठता बतानेके लिये इन्द्र और तोतेके संवादका उल्लेख  »  श्लोक 7
 
 
श्लोक  13.5.7 
तस्मिन् वृक्षे तथाभूते कोटरेषु चिरोषित:।
न जहाति शुको वासं तस्य भक्त्या वनस्पते:॥ ७॥
 
 
अनुवाद
उस पेड़ के खोखले में एक तोता बहुत समय से रह रहा था। उसे उस पेड़ से बहुत लगाव हो गया था, इसलिए वह पेड़ सूख जाने के बाद भी उसे छोड़कर नहीं गया।
 
A parrot had been living in the hollow of that tree for a long time. He had developed a great love for that tree, so he did not leave that tree even after it had dried up. 7.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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