श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 5: स्वामिभक्त एवं दयालु पुरुषकी श्रेष्ठता बतानेके लिये इन्द्र और तोतेके संवादका उल्लेख  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  13.5.6 
स तीक्ष्णविषदिग्धेन शरेणातिबलात् क्षत:।
उत्सृज्य फलपत्राणि पादप: शोषमागत:॥ ६॥
 
 
अनुवाद
उस तीक्ष्ण विष से भरे हुए बाण के प्रबल प्रहार से वह वृक्ष विषैला हो गया, उसके फल और पत्ते गिर गए और धीरे-धीरे वह सूखने लगा॥6॥
 
Due to the powerful blow of that arrow, which was filled with sharp poison, the tree got poisoned. Its fruits and leaves fell and slowly it started drying up.॥ 6॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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