श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 5: स्वामिभक्त एवं दयालु पुरुषकी श्रेष्ठता बतानेके लिये इन्द्र और तोतेके संवादका उल्लेख  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  13.5.27 
तस्य वाक्येन सौम्येन हर्षित: पाकशासन:।
शुकं प्रोवाच धर्मात्मा आनृशंस्येन तोषित:॥ २७॥
 
 
अनुवाद
तोते की इस मधुर वाणी से पक्षाघाती इन्द्र अत्यन्त प्रसन्न हुए। धर्मात्मा देवेन्द्र शुक की कृपा से संतुष्ट होकर उससे बोले - 27॥
 
Pakshasan Indra was very pleased with this soft speech of the parrot. The pious Devendra was satisfied with Shuka's kindness and said to him - 27॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.