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श्लोक 13.5.25  |
त्वमेव दैवतै: सर्वै: पृच्छॺसे धर्मसंशयात्।
अतस्त्वं देवदेवानामाधिपत्ये प्रतिष्ठित:॥ २५॥ |
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अनुवाद |
‘जब भी धर्म के विषय में कोई संदेह होता है, तब सभी देवता आपसे अपना संदेह पूछते हैं। इसीलिए आप सभी देवताओं के स्वामी हैं॥ 25॥ |
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‘Whenever there is any doubt in the matter of religion, all the gods ask you about their doubts. That is why you are the lord of all the gods.॥ 25॥ |
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