श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 5: स्वामिभक्त एवं दयालु पुरुषकी श्रेष्ठता बतानेके लिये इन्द्र और तोतेके संवादका उल्लेख  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  13.5.25 
त्वमेव दैवतै: सर्वै: पृच्छॺसे धर्मसंशयात्।
अतस्त्वं देवदेवानामाधिपत्ये प्रतिष्ठित:॥ २५॥
 
 
अनुवाद
‘जब भी धर्म के विषय में कोई संदेह होता है, तब सभी देवता आपसे अपना संदेह पूछते हैं। इसीलिए आप सभी देवताओं के स्वामी हैं॥ 25॥
 
‘Whenever there is any doubt in the matter of religion, all the gods ask you about their doubts. That is why you are the lord of all the gods.॥ 25॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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