श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 5: स्वामिभक्त एवं दयालु पुरुषकी श्रेष्ठता बतानेके लिये इन्द्र और तोतेके संवादका उल्लेख  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  13.5.16 
तमेवं शुभकर्माणं शुकं परमधार्मिकम्।
विजानन्नपि तां प्रीतिं पप्रच्छ बलसूदन:॥ १६॥
 
 
अनुवाद
इस तोते को वृक्ष कितना प्रिय है, यह जानकर बलसूदन इन्द्र ने शुभ कर्म करने वाले पुण्यात्मा शुक से पूछा-॥16॥
 
Knowing how much this parrot loves the tree, Indra Balasudan asked the virtuous Shuka who was performing auspicious deeds -॥ 16॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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