श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 5: स्वामिभक्त एवं दयालु पुरुषकी श्रेष्ठता बतानेके लिये इन्द्र और तोतेके संवादका उल्लेख  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  13.5.12 
ततो ब्राह्मणवेषेण मानुषं रूपमास्थित:।
अवतीर्य महीं शक्रस्तं पक्षिणमुवाच ह॥ १२॥
 
 
अनुवाद
तत्पश्चात् वह ब्राह्मण का वेश धारण करके मनुष्य का रूप धारण करके पृथ्वी पर उतरा और तोते से बोला -॥12॥
 
Thereafter he assumed the form of a human being in the guise of a Brahmin and descended to the earth and spoke to the parrot -॥ 12॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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