श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 4: आजमीढके वंशका वर्णन तथा विश्वामित्रके जन्मकी कथा और उनके पुत्रोंके नाम  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  13.4.6 
कुशिकस्यात्मज: श्रीमान् गाधिर्नाम जनेश्वर:।
अपुत्र: प्रसवेनार्थी वनवासमुपावसत्॥ ६॥
 
 
अनुवाद
कुशिक के महाराज गाधि नामक पुत्र हुए, जो बहुत समय तक निःसंतान रहे। तत्पश्चात् वे संतान प्राप्ति की इच्छा से वन में रहकर पुण्य कर्म करने लगे।
 
Kushik had a son named Maharaja Gadhi who remained childless for a long time. Then he started living in the forest to perform pious deeds with the desire of having a child.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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