श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 4: आजमीढके वंशका वर्णन तथा विश्वामित्रके जन्मकी कथा और उनके पुत्रोंके नाम  »  श्लोक 46
 
 
श्लोक  13.4.46 
एवमस्त्विति होवाच स्वां भार्यां सुमहातपा:।
तत: सा जनयामास जगदग्निं सुतं शुभम्॥ ४६॥
 
 
अनुवाद
तब महातपस्वी ऋषि ने अपनी पत्नी से कहा, ‘ठीक है, ऐसा ही हो।’ तत्पश्चात सत्यवती ने शुभ गुणों से युक्त जमदग्नि नामक पुत्र को जन्म दिया।
 
Then the great ascetic sage said to his wife, 'Okay, so be it.' Thereafter Satyavati gave birth to a son endowed with auspicious qualities named Jamadagni. 46.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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