श्री महाभारत » पर्व 13: अनुशासन पर्व » अध्याय 38: ब्राह्मणकी प्रशंसाके विषयमें इन्द्र और शम्बरासुरका संवाद » श्लोक 2 |
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| | श्लोक 13.38.2  | शक्रो ह्यज्ञातरूपेण जटी भूत्वा रजोगुण:।
विरूपं रथमास्थाय प्रश्नं पप्रच्छ शम्बरम्॥ २॥ | | | अनुवाद | एक समय की बात है, देवराज इन्द्र रजोगुणी वेश धारण करके, जटाधारी तपस्वी का वेश धारण करके, अस्त-व्यस्त रथ पर सवार होकर शम्बरासुर के पास गए। वहाँ पहुँचकर उन्होंने उससे पूछा॥2॥ | | Once upon a time, Devraj Indra, in the guise of Rajoguna, disguised as an ascetic with matted hair, went to Shambarasur riding on an untidy chariot. On reaching there, he asked him.॥2॥ |
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