श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 34: राजर्षि वृषदर्भ (या उशीनर)-के द्वारा शरणागत कपोतकी रक्षा तथा उस पुण्यके प्रभावसे अक्षयलोककी प्राप्ति  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  13.34.4 
प्रपात्यमान: श्येनेन कपोत: प्रियदर्शन:।
वृषदर्भं महाभागं नरेन्द्रं शरणं गत:॥ ४॥
 
 
अनुवाद
एक बार की बात है, एक बाज एक सुंदर कबूतर को मार रहा था। बाज के डर से कबूतर भाग गया और पराक्रमी राजा वृषदर्भ (उशीनर) के पास शरण ली।
 
Once upon a time, an eagle was killing a beautiful pigeon. The pigeon, in fear of the eagle, ran away and took refuge with the mighty king Vrishadharbha (Ushinar).
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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