श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 34: राजर्षि वृषदर्भ (या उशीनर)-के द्वारा शरणागत कपोतकी रक्षा तथा उस पुण्यके प्रभावसे अक्षयलोककी प्राप्ति  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  13.34.36 
साधुवृत्तो हि यो राजा सद्‍वृत्तमनुतिष्ठति।
किं न प्राप्तं भवेत् तेन स्वव्याजेनेह कर्मणा॥ ३६॥
 
 
अनुवाद
जो राजा सदाचारी है और सबके साथ अच्छा व्यवहार करता है, वह अपने शुद्ध कर्मों से क्या नहीं प्राप्त करता? 36.
 
A king who is virtuous and behaves well with everyone, what does he not achieve by his pure deeds? 36.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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