श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 34: राजर्षि वृषदर्भ (या उशीनर)-के द्वारा शरणागत कपोतकी रक्षा तथा उस पुण्यके प्रभावसे अक्षयलोककी प्राप्ति  »  श्लोक 24-25h
 
 
श्लोक  13.34.24-25h 
अन्त:पुरे ततस्तस्य स्त्रियो रत्नविभूषिता:॥ २४॥
हाहाभूता विनिष्क्रान्ता: श्रुत्वा परमदु:खिता:।
 
 
अनुवाद
यह समाचार सुनकर हरम में रत्नजटित रानियाँ बहुत दुःखी हुईं और विलाप करती हुई बाहर निकल आईं॥24 1/2॥
 
On hearing this news, the queens adorned with gems in the harem became very sad and came out wailing.॥ 24 1/2॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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