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श्लोक 13.34.2  |
शरणागतं ये रक्षन्ति भूतग्रामं चतुर्विधम्।
किं तस्य भरतश्रेष्ठ फलं भवति तत्त्वत:॥ २॥ |
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अनुवाद |
हे भरतश्रेष्ठ! अब कृपा करके मुझे यह बताइए कि जो लोग अण्डज, जराज, स्वेदज और वनस्पतिज - इन चार प्रकार के प्राणियों की रक्षा करते हैं, उन्हें क्या फल मिलता है?॥2॥ |
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O best of the Bharatas! Now kindly tell me what reward do those who protect the four kinds of creatures - oviparous, viviparous, sweat-born and plant-born - attain?॥2॥ |
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