श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 34: राजर्षि वृषदर्भ (या उशीनर)-के द्वारा शरणागत कपोतकी रक्षा तथा उस पुण्यके प्रभावसे अक्षयलोककी प्राप्ति  »  श्लोक 2
 
 
श्लोक  13.34.2 
शरणागतं ये रक्षन्ति भूतग्रामं चतुर्विधम्।
किं तस्य भरतश्रेष्ठ फलं भवति तत्त्वत:॥ २॥
 
 
अनुवाद
हे भरतश्रेष्ठ! अब कृपा करके मुझे यह बताइए कि जो लोग अण्डज, जराज, स्वेदज और वनस्पतिज - इन चार प्रकार के प्राणियों की रक्षा करते हैं, उन्हें क्या फल मिलता है?॥2॥
 
O best of the Bharatas! Now kindly tell me what reward do those who protect the four kinds of creatures - oviparous, viviparous, sweat-born and plant-born - attain?॥2॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.