श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 34: राजर्षि वृषदर्भ (या उशीनर)-के द्वारा शरणागत कपोतकी रक्षा तथा उस पुण्यके प्रभावसे अक्षयलोककी प्राप्ति  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  13.34.18 
राजोवाच
गोवृषो वा वराहो वा मृगो वा महिषोऽपि वा।
त्वदर्थमद्य क्रियतां क्षुधाप्रशमनाय ते॥ १८॥
 
 
अनुवाद
राजा ने कहा - "बाज! यदि तुम चाहो तो आज तुम्हारी भूख मिटाने के लिए कोई बैल, भैंसा, सुअर या हिरण तुम्हारे भोजन के लिए प्रस्तुत किया जा सकता है।"
 
The king said - Eagle! If you wish, a bull, buffalo, pig or deer can be presented to you for food today to satisfy your hunger.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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