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श्लोक 13.34.17  |
भीष्म उवाच
श्रुत्वा श्येनस्य तद् वाक्यं राजर्षिर्विस्मयं गत:।
सम्भाव्य चैनं तद्वाक्यं तदर्थी प्रत्यभाषत॥ १७॥ |
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अनुवाद |
भीष्म कहते हैं- युधिष्ठिर! बाज की यह बात सुनकर राजा उशीनर को बड़ा आश्चर्य हुआ। उन्होंने उसके कथन की प्रशंसा की और कबूतर की रक्षा के लिए इस प्रकार कहा-॥17॥ |
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Bhishma says- Yudhishthira! King Ushinar was very surprised to hear this from the hawk. He praised his statement and spoke thus to protect the pigeon-॥17॥ |
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