श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 34: राजर्षि वृषदर्भ (या उशीनर)-के द्वारा शरणागत कपोतकी रक्षा तथा उस पुण्यके प्रभावसे अक्षयलोककी प्राप्ति  »  श्लोक 14
 
 
श्लोक  13.34.14 
यदि स्वविषये राजन् प्रभुस्त्वं रक्षणे नृणाम्।
खेचरस्य तृषार्तस्य न त्वं प्रभुरथोत्तम॥ १४॥
 
 
अनुवाद
हे महाराज! आप अपने देश में रहने वाले मनुष्यों की रक्षा के लिए ही राजा बनाए गए हैं। आप भूख-प्यास से पीड़ित पक्षियों के स्वामी नहीं हैं॥14॥
 
O great king! You have been made a king only to protect the humans living in your country. You are not the master of birds suffering from hunger and thirst.॥ 14॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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