श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 34: राजर्षि वृषदर्भ (या उशीनर)-के द्वारा शरणागत कपोतकी रक्षा तथा उस पुण्यके प्रभावसे अक्षयलोककी प्राप्ति  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  13.34.1 
युधिष्ठिर उवाच
पितामह महाप्राज्ञ सर्वशास्त्रविशारद।
त्वत्तोऽहं श्रोतुमिच्छामि धर्मं भरतसत्तम॥ १॥
 
 
अनुवाद
युधिष्ठिर ने पूछा- महाज्ञानी पितामह! आप समस्त शास्त्रों के ज्ञान में निपुण हैं, अतः भरतशत्तम! मैं आपसे ही धर्मोपदेश सुनना चाहता हूँ। 1॥
 
Yudhishthir asked – Great wise grandfather! You are adept in the knowledge of all the scriptures, hence Bharatsattam! I want to hear religious sermons from you only. 1॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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