श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 3: विश्वामित्रको ब्राह्मणत्वकी प्राप्ति कैसे हुई—इस विषयमें युधिष्ठिरका प्रश्न  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  13.3.6 
ऋचीकस्यात्मजश्चैव शुन:शेपो महातपा:।
विमोक्षितो महासत्रात् पशुतामप्युपागत:॥ ६॥
 
 
अनुवाद
ऋचीक (अजीगर्त) का महातपस्वी पुत्र शुनःशेप एक यज्ञ में बलि के रूप में लाया गया था; परन्तु विश्वामित्र जी ने उसे उस महायज्ञ से मुक्त कर दिया ॥6॥
 
Shunashep, the great ascetic son of Richik (Ajigarta), was brought as a sacrificial animal in a yagya; But Vishwamitra ji freed him from that great sacrifice. 6॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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