श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 3: विश्वामित्रको ब्राह्मणत्वकी प्राप्ति कैसे हुई—इस विषयमें युधिष्ठिरका प्रश्न  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  13.3.10 
विश्वामित्रस्य विपुला नदी देवर्षिसेविता।
कौशिकी च शिवा पुण्या ब्रह्मर्षिसुरसेविता॥ १०॥
 
 
अनुवाद
ऋषियों, ब्रह्मर्षियों और देवताओं द्वारा सेवित पवित्र, शुभ और विशाल कौशिकी नदी विश्वामित्र के प्रभाव से ही प्रकट हुई है ॥10॥
 
The sacred, auspicious and vast river Kaushiki, served by sages, brahmarshis and gods, has appeared due to the influence of Viswamitra alone. ॥10॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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