श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 26: ब्रह्महत्याके समान पापोंका निरूपण  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  13.26.11 
चक्षुषा विप्रहीणस्य पंगुलस्य जडस्य वा।
हरेत यो वै सर्वस्वं तं विद्याद् ब्रह्मघातिनम्॥ ११॥
 
 
अनुवाद
जो अंधे, लंगड़े और गूंगे का सब कुछ हरण कर लेता है, वह ब्रह्महत्यारा कहलाता है। 11.
 
He who takes away everything from the blind, the lame and the dumb is known as a killer of Brahman. 11.
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.