श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 26: ब्रह्महत्याके समान पापोंका निरूपण  »  श्लोक 1
 
 
श्लोक  13.26.1 
युधिष्ठिर उवाच
इदं मे तत्त्वतो राजन् वक्तुमर्हसि भारत।
अहिंसयित्वापि कथं ब्रह्महत्या विधीयते॥ १॥
 
 
अनुवाद
युधिष्ठिर ने पूछा, "हे भरतवंशी राजन! अब कृपया मुझे यह बताइए कि यदि कोई व्यक्ति ब्राह्मण की हत्या न भी करे, तो उसे ब्राह्मण हत्या का पाप कैसे लगता है?"
 
Yudhishthira asked, "O King of the Bharata dynasty! Now please tell me exactly how a person commits the sin of killing a brahmin even if he does not kill a brahmin?"
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.