श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 24: युधिष्ठिरके विविध धर्मयुक्त प्रश्नोंका उत्तर तथा श्राद्ध और दानके उत्तम पात्रोंका लक्षण  »  श्लोक 6
 
 
श्लोक  13.24.6 
भीष्म उवाच
न ब्राह्मण: साधयते हव्यं दैवात् प्रसिद्‍ध्यति।
देवप्रसादादिज्यन्ते यजमानैर्न संशय:॥ ६॥
 
 
अनुवाद
भीष्म ने कहा, "पुत्र! यज्ञ और होम जैसे दिव्य कार्यों की सफलता ब्राह्मणों के हाथ में नहीं है। यह कार्य तो ईश्वर द्वारा होता है। यजमान देवताओं की कृपा से ही यज्ञ करता है। इसमें कोई संदेह नहीं है।"
 
Bhishma said, "Son! The success of the divine acts like Yagya and Homa is not in the hands of Brahmins. It is done by God. The Yajaman performs Yagya by the grace of Gods. There is no doubt in this.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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