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श्लोक 13.24.5  |
युधिष्ठिर उवाच
न ब्राह्मणं परीक्षेत दैवेषु सततं नर:।
कव्यप्रदाने तु बुधा: परीक्ष्यं ब्राह्मणं विदु:॥ ५॥ |
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अनुवाद |
युधिष्ठिर ने पूछा - पितामह! विद्वान लोग कहते हैं कि देवताओं के कार्य में ब्राह्मण की परीक्षा नहीं करनी चाहिए, किन्तु श्राद्ध में उसकी परीक्षा अवश्य करनी चाहिए; इसका क्या कारण है?॥5॥ |
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Yudhishthira asked - Grandfather! The learned say that one should never test a Brahmin in the work of gods, but one should definitely test him during Shraddha; what is the reason for this?॥ 5॥ |
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