श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 24: युधिष्ठिरके विविध धर्मयुक्त प्रश्नोंका उत्तर तथा श्राद्ध और दानके उत्तम पात्रोंका लक्षण  »  श्लोक 25
 
 
श्लोक  13.24.25 
भीष्म उवाच
ब्रह्मचर्यात् परं तात मधुमांसस्य वर्जनम्।
मर्यादायां स्थितो धर्म: शमश्चैवास्य लक्षणम्॥ २५॥
 
 
अनुवाद
भीष्म ने कहा, "महाराज! मांस-मदिरा का त्याग ब्रह्मचर्य से भी श्रेष्ठ है। यही उत्तम ब्रह्मचर्य है। वेदों द्वारा निर्धारित मर्यादा में रहना ही उत्तम धर्म है और मन तथा इन्द्रियों को वश में रखना ही उत्तम पवित्रता है।" 25.
 
Bhishma said, "Sir, giving up meat and alcohol is even better than celibacy. That is the best celibacy. To remain within the limits prescribed by the Vedas is the best religion and to keep the mind and senses under control is the best purity." 25.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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