श्री महाभारत » पर्व 13: अनुशासन पर्व » अध्याय 21: अष्टावक्र और उत्तर दिशाका संवाद » श्लोक 4 |
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| | श्लोक 13.21.4  | अथोपविष्टश्च यदा तस्मिन् भद्रासने तदा।
स्नापयामास शनकैस्तमृषिं सुखहस्तवत्॥ ४॥ | | | अनुवाद | जब वह उस सुन्दर चौकी पर बैठा, तब उस स्त्री ने अपने हाथों के कोमल स्पर्श से उसे धीरे-धीरे नहलाया ॥4॥ | | When he sat on that beautiful stool, the woman slowly bathed him with the gentle touch of her hands. ॥ 4॥ |
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