श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 20: अष्टावक्र मुनिका वदान्य ऋषिके कहनेसे उत्तर दिशाकी ओर प्रस्थान, मार्गमें कुबेरके द्वारा उनका स्वागत तथा स्त्रीरूपधारिणी उत्तरदिशाके साथ उनका संवाद  »  श्लोक 62
 
 
श्लोक  13.20.62 
महान्तो यत्र विविधा मणिकाञ्चनपर्वता:।
विमानानि च रम्याणि रत्नानि विविधानि च॥ ६२॥
 
 
अनुवाद
वहाँ नाना प्रकार के रत्नों और सुवर्ण से विभूषित विशाल पर्वत थे। अनेक सुन्दर विमान और नाना प्रकार के रत्न दिखाई दे रहे थे। 62॥
 
There were huge mountains adorned with various types of gems and gold. Many beautiful aircraft and different types of gems were visible. 62॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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