श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 20: अष्टावक्र मुनिका वदान्य ऋषिके कहनेसे उत्तर दिशाकी ओर प्रस्थान, मार्गमें कुबेरके द्वारा उनका स्वागत तथा स्त्रीरूपधारिणी उत्तरदिशाके साथ उनका संवाद  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  13.20.10 
भीष्म उवाच
अत्राप्युदाहरन्तीममितिहासं पुरातनम्।
अष्टावक्रस्य संवादं दिशया सह भारत॥ १०॥
 
 
अनुवाद
भीष्म बोले, 'भरतनन्दन! इस प्रसंग में प्राचीन इतिहास से एक उदाहरण दिया जाता है जिसमें ऋषि अष्टावक्र का उत्तर दिशा के अधिष्ठाता देवता से वार्तालाप हुआ था॥10॥
 
Bhishma said, 'Bharatanandan! In this context, an example is given from the ancient history in which the sage Ashtavakra had a conversation with the presiding deity of the northern direction.॥ 10॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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