श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 2: प्रजापति मनुके वंशका वर्णन, अग्निपुत्र सुदर्शनका अतिथिसत्काररूपी धर्मके पालनसे मृत्युपर विजय पाना  »  श्लोक 95
 
 
श्लोक  13.2.95 
धन्यं यशस्यमायुष्यमिदमाख्यानमुत्तमम्।
बुभूषताभिमन्तव्यं सर्वदुश्चरितापहम्॥ ९५॥
 
 
अनुवाद
यह उत्तम कथा धन, यश और आयु की प्राप्ति कराने वाली है। यह सब प्रकार के पाप कर्मों का नाश करने वाली है, अतः अपनी उन्नति चाहने वाले मनुष्य को इसका सदैव आदर करना चाहिए। 95॥
 
This excellent story will help you attain wealth, fame and longevity. It destroys all kinds of evil deeds, hence a man who wants his progress should always have respect for it. 95॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.