श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 2: प्रजापति मनुके वंशका वर्णन, अग्निपुत्र सुदर्शनका अतिथिसत्काररूपी धर्मके पालनसे मृत्युपर विजय पाना  »  श्लोक 90
 
 
श्लोक  13.2.90 
मृत्युरात्मा च लोकाश्च जिता भूतानि पञ्च च।
बुद्धि: कालो मनो व्योम कामक्रोधौ तथैव च॥ ९०॥
 
 
अनुवाद
इस प्रकार आतिथ्य के पुण्य से सुदर्शन ने मृत्यु, जीव, संसार, पंचभूत, बुद्धि, काल, मन, आकाश, काम और क्रोध पर विजय प्राप्त कर ली ॥90॥
 
In this way, by the virtue of hospitality, Sudarshan conquered death, soul, world, five elements, intellect, time, mind, sky, lust and anger. 90॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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