श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 2: प्रजापति मनुके वंशका वर्णन, अग्निपुत्र सुदर्शनका अतिथिसत्काररूपी धर्मके पालनसे मृत्युपर विजय पाना  »  श्लोक 66
 
 
श्लोक  13.2.66 
अनेन विधिना सेयं मामर्च्छति शुभानना।
अनुरूपं यदत्रान्यत् तद् भवान् कर्तुमर्हति॥ ६६॥
 
 
अनुवाद
इसी विधि के अनुसार यह सुमुखी इस समय मेरे समक्ष उपस्थित हुई है। अब तुम यहाँ जो कुछ उचित समझो, वह कर सकते हो।॥66॥
 
‘According to this law, this Sumukhi has presented herself to me at this time. Now you can do whatever else seems appropriate to you here.'॥ 66॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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