श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 2: प्रजापति मनुके वंशका वर्णन, अग्निपुत्र सुदर्शनका अतिथिसत्काररूपी धर्मके पालनसे मृत्युपर विजय पाना  »  श्लोक 59
 
 
श्लोक  13.2.59 
ततस्त्वाश्रममागम्य स पावकसुतस्तदा।
तां व्याजहारौघवतीं क्वासि यातेति चासकृत्॥ ५९॥
 
 
अनुवाद
आश्रम में पहुँचकर अग्निपुत्र सुदर्शन अपनी पत्नी ओघवती को बार-बार पुकारने लगे - "देवि! तुम कहाँ चली गईं?"॥ 59॥
 
Upon reaching the ashram, Agniputra Sudarshan started calling his wife Oghavati repeatedly - "Devi! Where have you gone?"॥ 59॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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