श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 2: प्रजापति मनुके वंशका वर्णन, अग्निपुत्र सुदर्शनका अतिथिसत्काररूपी धर्मके पालनसे मृत्युपर विजय पाना  »  श्लोक 41
 
 
श्लोक  13.2.41 
गृहस्थश्चावजेष्यामि मृत्युमित्येव स प्रभो।
प्रतिज्ञामकरोद् धीमान् दीप्ततेजा विशाम्पते॥ ४१॥
 
 
अनुवाद
प्रजानाथ! प्रभो! उस तेजस्वी बुद्धिमान सुदर्शन ने यह प्रतिज्ञा की कि मैं गृहस्थ धर्म का पालन करते हुए मृत्यु को जीत लूँगा ॥ 41॥
 
Prajanath! Lord! That intelligent Sudarshan with blazing brilliance took the vow that he would conquer death while following the household duties. ॥ 41॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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