श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 2: प्रजापति मनुके वंशका वर्णन, अग्निपुत्र सुदर्शनका अतिथिसत्काररूपी धर्मके पालनसे मृत्युपर विजय पाना  »  श्लोक 32
 
 
श्लोक  13.2.32 
तमाह भगवानग्निरेवमस्त्विति पार्थिवम्।
तत: सांनिध्यमद्यापि माहिष्मत्यां विभावसो:॥ ३२॥
 
 
अनुवाद
यह सुनकर भगवान अग्नि ने राजा से कहा, 'ऐसा ही हो (ऐसा ही हो)। तब से लेकर आज तक अग्निदेव महिष्मती नगरी में निवास कर रहे हैं। 32.
 
Hearing this, Lord Agni said to the king, 'So be it (so be it). Since then till today, Agnidev has been residing in the city of Mahishmati. 32.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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