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श्लोक 13.2.27  |
तान् दर्शयामास तदा भगवान् हव्यवाहन:।
स्वं रूपं दीप्तिमत् कृत्वा शरदर्कसमद्युति:॥ २७॥ |
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अनुवाद |
तब भगवान हव्यवाहन ने रात्रि में अपना तेजोमय रूप प्रकट किया और शरद ऋतु के सूर्य के समान प्रकाशित होकर उन ब्राह्मणों को दर्शन दिए॥27॥ |
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Then Lord Havyavahana revealed his brilliant form in the night and appeared to those Brahmins glowing like the autumn sun. 27॥ |
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