श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 2: प्रजापति मनुके वंशका वर्णन, अग्निपुत्र सुदर्शनका अतिथिसत्काररूपी धर्मके पालनसे मृत्युपर विजय पाना  »  श्लोक 27
 
 
श्लोक  13.2.27 
तान् दर्शयामास तदा भगवान‍् हव्यवाहन:।
स्वं रूपं दीप्तिमत् कृत्वा शरदर्कसमद्युति:॥ २७॥
 
 
अनुवाद
तब भगवान हव्यवाहन ने रात्रि में अपना तेजोमय रूप प्रकट किया और शरद ऋतु के सूर्य के समान प्रकाशित होकर उन ब्राह्मणों को दर्शन दिए॥27॥
 
Then Lord Havyavahana revealed his brilliant form in the night and appeared to those Brahmins glowing like the autumn sun. 27॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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