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श्लोक 13.2.25  |
न ह्यल्पं दुष्कृतं नोऽस्ति येनाग्निर्नाशमागत:।
भवतां चाथवा मह्यं तत्त्वेनैतद् विमृश्यताम्॥ २५॥ |
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अनुवाद |
हमने कोई छोटा-मोटा अपराध नहीं किया है, जिसके कारण अग्निदेव अदृश्य हो गए हैं। वह अपराध तुम्हारा है या मेरा - इस पर अच्छी तरह विचार करो॥ 25॥ |
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‘We have committed no small crime due to which Agnidev has become invisible. Is that crime yours or mine - think about it clearly.'॥ 25॥ |
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