श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 2: प्रजापति मनुके वंशका वर्णन, अग्निपुत्र सुदर्शनका अतिथिसत्काररूपी धर्मके पालनसे मृत्युपर विजय पाना  »  श्लोक 18
 
 
श्लोक  13.2.18 
तं नर्मदा देवनदी पुण्या शीतजला शिवा।
चकमे पुरुषव्याघ्रं स्वेन भावेन भारत॥ १८॥
 
 
अनुवाद
भरत! एक समय की बात है, शीतल जल वाली पवित्र एवं शुभ दिव्य नदी नर्मदा उस पुरुषसिंह से हृदयपूर्वक प्रेम करने लगी और उसकी पत्नी बन गई॥18॥
 
Bharat! Once upon a time, the holy and auspicious divine river Narmada with cool water started loving that Purushsingh with all her heart and became his wife.॥ 18॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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