श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 19: शिवसहस्रनामके पाठकी महिमा तथा ऋषियोंका भगवान‍् शंकरकी कृपासे अभीष्ट सिद्धि होनेके विषयमें अपना-अपना अनुभव सुनाना और श्रीकृष्णके द्वारा भगवान‍् शिवजीकी महिमाका वर्णन  »  श्लोक 82
 
 
श्लोक  13.19.82 
स्तवराजमिमं कृत्वा रुद्राय दधिरे मन:।
सर्वदोषापहं पुण्यं पवित्रं च यशस्विन:॥ ८२॥
 
 
अनुवाद
जो मनुष्य समस्त पापों का नाश करने वाले इस पवित्र एवं पुण्यमय स्तवराज का पाठ करते हैं तथा भगवान रुद्र का ध्यान करते हैं, वे प्रसिद्ध होते हैं ॥ 82॥
 
Those who recite this sacred and virtuous Stavaraja, which destroys all sins, and concentrate on the thought of Lord Rudra, become famous. ॥ 82॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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