श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 19: शिवसहस्रनामके पाठकी महिमा तथा ऋषियोंका भगवान‍् शंकरकी कृपासे अभीष्ट सिद्धि होनेके विषयमें अपना-अपना अनुभव सुनाना और श्रीकृष्णके द्वारा भगवान‍् शिवजीकी महिमाका वर्णन  »  श्लोक 68-69h
 
 
श्लोक  13.19.68-69h 
कीटपक्षिपतङ्गानां तिरश्चामपि केशव॥ ६८॥
महादेवप्रपन्नानां न भयं विद्यते क्वचित्।
 
 
अनुवाद
केशव! यदि कीट-पतंगे, पक्षी और पशु भी भगवान महादेव की शरण में आ जाएँ, तो उन्हें भी किसी का भय नहीं रहता।
 
Keshav! If insects, birds and animals also take refuge in Lord Mahadev, then they too do not have to fear anyone. 68 1/2
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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