श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 19: शिवसहस्रनामके पाठकी महिमा तथा ऋषियोंका भगवान‍् शंकरकी कृपासे अभीष्ट सिद्धि होनेके विषयमें अपना-अपना अनुभव सुनाना और श्रीकृष्णके द्वारा भगवान‍् शिवजीकी महिमाका वर्णन  »  श्लोक 50
 
 
श्लोक  13.19.50 
तीर्थाभिषेकं सकलं त्वमविघ्नेन चाप्स्यसि।
स्वर्गं चैवाक्षयं विप्र विदधामि तवोर्जितम्॥ ५०॥
 
 
अनुवाद
ब्रह्मन्! तुम्हें समस्त तीर्थों में बिना किसी बाधा के स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त होगा। मैं तुम्हें सनातन एवं यशस्वी स्वर्ग प्रदान करता हूँ।॥50॥
 
Brahman! You will have the good fortune of bathing in all the holy places without any hindrance. I give you the everlasting and illustrious heaven.'॥ 50॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.