श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 19: शिवसहस्रनामके पाठकी महिमा तथा ऋषियोंका भगवान‍् शंकरकी कृपासे अभीष्ट सिद्धि होनेके विषयमें अपना-अपना अनुभव सुनाना और श्रीकृष्णके द्वारा भगवान‍् शिवजीकी महिमाका वर्णन  »  श्लोक 49
 
 
श्लोक  13.19.49 
पादाच्चतुर्थात् सम्भूत आत्मा यस्मान्मुने तव।
त्वं भविष्यस्यनुपमो जन्म वै सफलं कुरु॥ ४९॥
 
 
अनुवाद
मुनि! तुम्हारा यह शरीर धर्म के चौथे अंश सत्य से उत्पन्न हुआ है। अतः तुम अद्वितीय सत्यवक्ता होगे। जाओ, अपना जीवन सफल करो ॥ 49॥
 
‘Muni! This body of yours has been born from the fourth part of Dharma, Satya. Therefore, you will be an unmatched truth-speaker. Go, make your life successful. ॥ 49॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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