श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 19: शिवसहस्रनामके पाठकी महिमा तथा ऋषियोंका भगवान‍् शंकरकी कृपासे अभीष्ट सिद्धि होनेके विषयमें अपना-अपना अनुभव सुनाना और श्रीकृष्णके द्वारा भगवान‍् शिवजीकी महिमाका वर्णन  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  13.19.42 
इति मत्वा हृदि मतं प्राह मां सुरसत्तम:।
मयि सम्भावना यास्या: फलात्कृष्णो भविष्यति॥ ४२॥
 
 
अनुवाद
मेरी ऐसी अभिलाषा जानकर श्रेष्ठ शिवजी ने मुझसे कहा - 'मुने! मेरे प्रति तुम्हारे आदरभाव अर्थात् वर पाने की इच्छा के कारण तुम्हें कृष्ण नाम का पुत्र प्राप्त होगा।' 42॥
 
Knowing about such a desire of mine, the best Shiva said to me - 'Mune! Because of your respect for me, that is, your desire to get the groom, you will get a son named Krishna. 42॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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