श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 19: शिवसहस्रनामके पाठकी महिमा तथा ऋषियोंका भगवान‍् शंकरकी कृपासे अभीष्ट सिद्धि होनेके विषयमें अपना-अपना अनुभव सुनाना और श्रीकृष्णके द्वारा भगवान‍् शिवजीकी महिमाका वर्णन  »  श्लोक 37
 
 
श्लोक  13.19.37 
जैगीषव्य उवाच
ममाष्टगुणमैश्वर्यं दत्तं भगवता पुरा।
यत्नेनान्येन बलिना वाराणस्यां युधिष्ठिर॥ ३७॥
 
 
अनुवाद
जैगीषव्य बोले - युधिष्ठिर! पूर्वकाल में काशीपुरी में मेरे अन्य शक्तिशाली पुरुषार्थों से संतुष्ट होकर भगवान शिव ने मुझे अणिमा सहित आठ अलौकिक सिद्धियाँ प्रदान की थीं।
 
Jaigishavya said - Yudhishthir! In the past, Lord Shiva, satisfied with my other powerful efforts in Kashipuri, had given me eight supernatural powers, including Anima.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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