श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 19: शिवसहस्रनामके पाठकी महिमा तथा ऋषियोंका भगवान‍् शंकरकी कृपासे अभीष्ट सिद्धि होनेके विषयमें अपना-अपना अनुभव सुनाना और श्रीकृष्णके द्वारा भगवान‍् शिवजीकी महिमाका वर्णन  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  13.19.15 
आह मां भगवानेवं शिखण्डी शिवविग्रह:।
तदवाप्तं च मे सर्वं प्रसादात् तस्य धीमत:॥ १५॥
 
 
अनुवाद
शुभ जटाधारी भगवान शिव ने मुझसे जो कुछ कहा, वह सब बुद्धिमान महेश्वर की कृपा से मुझे प्राप्त हुआ।॥15॥
 
Whatever the auspicious, matted-haired Lord Shiva said to me, I received it by the grace of the wise Maheshwar.'॥ 15॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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