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श्लोक 13.188.49  |
प्राणानुत्स्रष्टुमिच्छामि तत्रानुज्ञातुमर्हथ।
सत्येषु यतितव्यं व: सत्यं हि परमं बलम्॥ ४९॥ |
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अनुवाद |
अब मैं प्राण त्यागना चाहता हूँ। आप सब लोग मुझे इसकी अनुमति दीजिए। आप लोग सदैव सत्य धर्म का पालन करने का प्रयत्न कीजिए; क्योंकि सत्य ही सबसे बड़ा बल है॥49॥ |
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‘Now I want to give up my life. All of you please give me permission for this. You should always try to follow the true religion; because truth is the greatest strength.॥ 49॥ |
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