श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 188: भीष्मके अन्त्येष्टि-संस्कारकी सामग्री लेकर युधिष्ठिर आदिका उनके पास जाना और भीष्मका श्रीकृष्ण आदिसे देहत्यागकी अनुमति लेते हुए धृतराष्ट्र और युधिष्ठिरको कर्तव्यका उपदेश देना  »  श्लोक 46
 
 
श्लोक  13.188.46 
वासुदेव उवाच
अनुजानामि भीष्म त्वां वसून् प्राप्नुहि पार्थिव।
न तेऽस्ति वृजिनं किंचिदिहलोके महाद्युते॥ ४६॥
 
 
अनुवाद
भगवान श्रीकृष्ण बोले, "हे पृथ्वी के रक्षक एवं महाबली भीष्मजी! मैं आपको (प्रसन्नतापूर्वक) अनुमति देता हूँ। आप वसुलोक जाइए। आपने इस संसार में किंचितमात्र भी पाप नहीं किया है।" 46.
 
Lord Krishna said, "O protector of the earth and the mighty Bhishmaji! I (pleasantly) give you permission. You may go to Vasulok. You have not committed even the smallest sin in this world." 46.
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.