श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 188: भीष्मके अन्त्येष्टि-संस्कारकी सामग्री लेकर युधिष्ठिर आदिका उनके पास जाना और भीष्मका श्रीकृष्ण आदिसे देहत्यागकी अनुमति लेते हुए धृतराष्ट्र और युधिष्ठिरको कर्तव्यका उपदेश देना  »  श्लोक 44
 
 
श्लोक  13.188.44 
तथा मे नारद: प्राह व्यासश्च सुमहातपा:।
नरनारायणावेतौ सम्भूतौ मनुजेष्विति॥ ४४॥
 
 
अनुवाद
देवर्षि नारद और महातपस्वी व्यासजी ने भी मुझसे कहा कि ये श्रीकृष्ण और अर्जुन ही साक्षात भगवान नारायण और नर हैं, जो मानव शरीर में अवतरित हुए हैं॥44॥
 
Devarshi Narad and great ascetic Vyasji also told me that this Shri Krishna and Arjun are the real Lord Narayan and Nar, who have incarnated in human body. 44॥
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.