श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 188: भीष्मके अन्त्येष्टि-संस्कारकी सामग्री लेकर युधिष्ठिर आदिका उनके पास जाना और भीष्मका श्रीकृष्ण आदिसे देहत्यागकी अनुमति लेते हुए धृतराष्ट्र और युधिष्ठिरको कर्तव्यका उपदेश देना  »  श्लोक 39
 
 
श्लोक  13.188.39 
त्रायस्व पुण्डरीकाक्ष पुरुषोत्तम नित्यश:।
अनुजानीहि मां कृष्ण वैकुण्ठ पुरुषोत्तम॥ ३९॥
 
 
अनुवाद
कमल-नयन श्रीकृष्ण! पुरुषोत्तम! वैकुण्ठ! आप सदैव मेरा उद्धार करते हैं। अब मुझे जाने की अनुमति दीजिए। 39।
 
Lotus-eyed Shri Krishna! Purushottam! Vaikuntha! You always save me. Now give me permission to leave. 39.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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