श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 188: भीष्मके अन्त्येष्टि-संस्कारकी सामग्री लेकर युधिष्ठिर आदिका उनके पास जाना और भीष्मका श्रीकृष्ण आदिसे देहत्यागकी अनुमति लेते हुए धृतराष्ट्र और युधिष्ठिरको कर्तव्यका उपदेश देना  »  श्लोक 36
 
 
श्लोक  13.188.36 
वैशम्पायन उवाच
एतावदुक्त्वा वचनं धृतराष्ट्रं मनीषिणम्।
वासुदेवं महाबाहुमभ्यभाषत कौरव:॥ ३६॥
 
 
अनुवाद
वैशम्पायनजी कहते हैं: जनमेजय! बुद्धिमान धृतराष्ट्र से यह कहकर कुरुवंशी भीष्म महाबाहु भगवान श्रीकृष्ण से इस प्रकार बोले।
 
Vaishmpayana says: Janamejaya! After saying these words to the wise Dhritarashtra, Bhishma of the Kuru dynasty spoke thus to the mighty-armed Lord Krishna.
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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