श्री महाभारत  »  पर्व 13: अनुशासन पर्व  »  अध्याय 188: भीष्मके अन्त्येष्टि-संस्कारकी सामग्री लेकर युधिष्ठिर आदिका उनके पास जाना और भीष्मका श्रीकृष्ण आदिसे देहत्यागकी अनुमति लेते हुए धृतराष्ट्र और युधिष्ठिरको कर्तव्यका उपदेश देना  »  श्लोक 35
 
 
श्लोक  13.188.35 
तव पुत्रा दुरात्मान: क्रोधलोभपरायणा:।
ईर्ष्याभिभूता दुर्वृत्तास्तान् न शोचितुमर्हसि॥ ३५॥
 
 
अनुवाद
तुम्हारे पुत्र बड़े दुष्ट, क्रोधी, लोभी, ईर्ष्यालु और दुष्ट थे, इसलिए तुम्हें उनके लिए शोक नहीं करना चाहिए ॥35॥
 
Your sons were very evil-minded, short-tempered, greedy, jealous and wicked. Therefore you should not mourn for them. ॥ 35॥
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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